व्हाइटनिंग फेशियल क्रीम

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व्हाइटनिंग फेशियल क्रीमों से त्वचा के दोष जैसे काले धब्बे, झुर्रियाँ या असंतुलित कॉम्प्लेक्शन छिपाने में मदद मिलती है। हर महिला के लिए उसके चेहरे की सुंदरता काफी महत्वपूर्ण होती है। महिलाएं कई तरह के कॉस्मेटिक्स लेती हैं और चेहरे के दोष दबाकर अपने चेहरे के आकर्षक फीचर्स को उभारती हैं। कई बार त्वचा में कुछ जगहों पर साँवले धब्बे पड़ जाते हैं जो कई बार काफी बड़े भी होते हैं और इन धब्बों से चेहरा भद्दा दिखने लगता है। यही कारण है कि चेहरे से जरूरत से अधिक सांवलेपन को दूर करने के लिए एंटी-पिग्मेंटेशन फेशियल व्हाइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल जरूरी होता है।

यदि आप इसे नियमित रूप से लगाएँगी तो आपको अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। एक एंटी-पिग्मेंटेशन क्रीम से आप संतुलित कोम्प्लेक्शन पा सकती हैं। अच्छे असर के लिए आपको एक उचित स्किन केयर प्रोडक्ट लेने की जरूरत होती है और इसके लिए आवश्यक होता है कि आप प्रोडक्ट में मिले पदार्थों और इसके काम करने के तरीके को समझें। आम तौर पर इन प्रोडक्ट्स में ऐसे पदार्थ या पदार्थों के मिश्रण होते हैं जो एलर्जी की रिस्क को कम करते हैं। इनको लगाने से समय के साथ स्किन बेहतर होती चली जाती है। आप जब भी कोई कॉस्मेटिक चुनें, उस प्रोडक्ट के घटकों और अपने स्किन टाइप को जरूर ध्यान में रखें।

व्हाइटनिंग फेशियल क्रीम

व्हाइटनिंग फेशियल क्रीम सामग्री

कॉस्मेटोलॉजिस्ट जानते हैं कि इन प्रोडक्ट्स में मिले पदार्थों से ब्लीचिंग असर होता है। जब आप कोई प्रोडक्ट खरीदें तो इस बात पर जरूर ध्यान दें कि आपके प्रोडक्ट में इस तरह के पदार्थ मिले हुए हैं। हम सलाह देते हैं कि फेशियल व्हाइटनिंग के प्रोडक्ट किसी दवाई की दुकान से खरीदे जाएँ। अच्छे नतीजे पाने के लिए यह जरूरी होता है कि प्रोडक्ट में ये घटक हों:

  • ग्लाइकॉलिक एसिड – इससे त्वचा के प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित होने में मदद मिलती है।
  • हाइड्रोक्विनोन – इस पदार्थ से मिलानोसाइट्स का असर कम होता है, हालांकि कई लोगों को इस पदार्थ से साइड-इफेक्ट हो सकते हैं। इसलिए यह जरूरी होता है कि इसे सीमित और नियंत्रित रूप से ही उपयोग किया जाए। यदि हाइड्रोक्विनोन मिले कॉस्मेटिक को दो महीने तक लगाने के बाद भी साँवलेपन नहीं जाता है तो कोई दूसरा प्रोडक्ट इस्तेमाल करना चाहिए।
  • ट्रेटीनोल – इस घटक से कोशिकाओं के पुनर्जीवन में मदद मिलती है जिससे मेलानिन वाली त्वचा एक्सफोलिएट होकर निकल जाती है। बार-बार लगाने से स्किन पीलिंग बढ़ जाने का खतरा होता है।
  • आरबूटिन – इस पदार्थ का असर हाइड्रोक्विनोन जैसा ही होता है लेकिन इसके कोई साइड-इफेक्ट नहीं होते।
    बीटा-कैरोटीन – यह उन रिसेप्टर्स को बंद कर देता है जो साँवलापन लाने वाले मेलानिन का उत्पादन करते हैं। फ्रूट एसिड और दूसरे प्राकृतिक घटक त्वचा को पर्याप्त विटामिन देकर उसे पोषित करते हैं और उसे मॉइस्चराइज़ करते हैं।

क्या व्हाइटनिंग क्रीम्स को गर्मियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है?

यह सवाल उन लोगों को अक्सर परेशान करता है जो साँवलापन दूर करना चाह रहे हैं। गर्मियों में धूप काफी तेज होती है और इसलिए साँवले धब्बों की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्किन की कुछ जगहों की कोशिकाओं में मेलानिन का उत्पादन असंतुलित रूप से हो सकता है। चूंकि गर्मियों में लोग ढीले और हल्के कपड़े पहनते हैं, इस तरह के असंतुलित साँवलेपन को छिपना मुश्किल हो जाता है। व्हाइटनिंग क्रीम को गर्मियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन यह आवश्यक होता है कि आप सही प्रोडक्ट का चुनाव करें और सावधानी बरतें। सबसे पहले तो आपको क्रीम और पीलिंग्स के घटकों पर ध्यान देना चाहिए। इन प्रोडक्ट्स में ऐसे फोटोसेंसिटिव पदार्थ जैसे रेटीनोलिक एसिड और इससे बने दूसरे पदार्थ नहीं होने चाहिए। ये पदार्थ यूवी किरणें पड़ने पर मेलानिन का उत्पादन बढ़ा देते हैं जिससे स्किन पर दाग पड़ जाते हैं। ब्लीचिंग प्रोडक्ट्स में पीलिंग्स की तुलना में ब्लीचिंग एसिड कम मात्रा में होते हैं और इसलिए आप गर्मियों में इन्हें उपयोग कर सकती हैं।

 ब्लीचिंग और एक्सफोलिएटिंग क्रीम के क्या फायदे होते हैं?

 ब्लीचिंग और एक्सफोलिएटिंग क्रीम के क्या फायदे होते हैं?

इनसे त्वचा के दोष दूर होते हैं, ब्लैक हैड्स गायब हो जाते हैं और रोमछिद्र खुल जाते हैं। मरी हुई कोशिकाओं को एक्सफोलिएट करने से त्वचा की सतह पर एपीथीलियम की एक नई परत आ जाती है और त्वचा काफी आकर्षक दिखने लगती है।

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